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B.Ed critical Examin of School time table for upper primary level in Hindi



विद्यालय समय तालिका तैयारी एवं आलोचनात्मक प्रतिवेदन
दिनांक : - 12-12-2016
छात्रध्यापक का नाम : -  
रोल : -
विद्यालय का नाम : -
विषय सूची : -
v सारांश (Abstract)
v सैधांतिक पक्ष
Ø प्रस्तावना
Ø समय तालिका का अर्थ एवं अवधारणा
Ø समय तालिका की आवश्यकता एवं महत्त्व
Ø समय तालिका निर्माण के सिध्दांत
v व्यवहारिक पक्ष
Ø समय तालिका की योजना/निर्माण उच्च  प्राथमिक स्तर पर
Ø समय तालिका निर्माण के सिध्दांतो के आधार पर माध्यमिक स्तर की किसी भी कक्षा हेतु समय तालिका का निर्माण
v आलोचनात्मक परिक्षण 
Ø विद्यालय का नाम
Ø विद्यालय का प्रकार (बालक/बालिका/सह शिक्षा )
Ø विद्यालय की प्रकृति
Ø कक्षा
v निष्कर्ष
v सुझाव
v परिशिष्ट  (वर्तमान समय तालिका की छायाप्रति )


सारांश (Abstract)
वह सारणी या तालिका जिसमें विद्यालय के विभिन्न कार्यो, व्यवस्थाओं आदि के लिए एक निश्चित समय का विवरण रहता है उसे विद्यालय समय तालिका कहा जाता है | जैसे : - विद्यालय की कक्षाओं में विभिन्न दिनों के विषयों के पठन-पाठन समय आदि का व्यौरा |
प्रस्तावना
समय तालिका एक सामान्यतः एक साप्ताहिक चक्र है जो शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में सहायक होता है|
            उच्चतर शिक्षण-अधिगम के सन्दर्भ में समय तालिका शब्द का एक व्यापक अर्थ है क्योंकि प्राथमिक स्तर पर समय तालिका का प्रारूप बहुत ही साधारण होता है |
            समय तालिका का प्रारूप शिक्षण-अधिगम के सभी स्तरों पर भिन्न-2  होता है | प्राथमिक स्तर का उच्चतर से, उच्चतर का विश्विद्यालय से भिन्न होता है |
एक संतुलित  समय तालिका शिक्षण – अधिगम प्रकिया को प्रभावित करती है |
समय तालिका का अर्थ एवं अवधारणा
समय तालिका शब्द से ही स्पष्ट हो जाता है कि समय का प्रत्येक कार्यों में विभाजन अर्थात समय तालिका में सभी कार्यों के लिए एक निर्धारित समय निश्चित होती है |
            विद्यालय समय तालिका में सभी विषयों का एक क्रमबद्ध समावेश होता है| इससे सभी विषयों के पठन-पाठन  तथा अन्य विद्यालयी कार्यों के लिए एक समय तथा अवधि निशित होती है  जो प्रत्येक सप्ताह में उसका चक्रण होता होता है |
            समय तालिका एक चक्र के भांति कार्य करती है  जो प्रत्येक दिन अंपने कार्यों की पुनरावृत्ति करता है |
समय तालिका की आवश्यकता एवं महत्त्व
समय तालिका विद्यालय से विभिन्न क्रिया-कलापों के लिए समय निश्चित हो पाता  है तथा उस क्रिया-कलाप से सम्बंधित अध्यापक के लिए भी आसान हो जाता है और वह अपनी जिम्मेदारी-पूर्वक उस क्रिया-कलाप का सुचारू रूप से संचालन करता है | जैसे : - खेल-कूद , विज्ञान-मेला , सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आदि |
Ø समय तालिका में सभी कार्यों का तथा विषयों का निर्धारित स्थान, समय, तथा अवधि निर्धारित होता है | समय आने पर उससे सम्बंधित कार्यों का निर्वाहन किया जाता है | जैसे : - मध्याहन भोजन का समय , प्रार्थना समय आदि |
Ø समय तालिका से व्यर्थ में समय और ऊर्जा का हास् नहीं होता है |
Ø समय तालिका के कारण पूरा विद्यालय एक तंत्र की भांति कार्य करता है |
Ø इसकी सहायता से हम शिक्षण – अधिगम की प्रकिया को बेहतर बनाने की तैयारी कर सकते है |
Ø समय तालिका की मदद से सिखने की प्रक्रिया तथा कक्षा की भौतिक संगठन की तैयारी कर सकते है | जैसे : - एक विज्ञान के अध्यापक को यदि पता है की उसे क्या पढ़ाना है और किस कक्षा में पढ़ाना है तो वह इसकी तैयारी पहले से करके आयेगा |
समय तालिका निर्माण के सिध्दांत
समय तालिका निर्माण करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है |
1)    विद्यालय का प्रकार : - अर्थात समय तालिका किस विद्यालय के लिए बनाना है | एक समय तालिका सभी प्रकार के विद्यालयों के उपयोग नहीं हो सकती है |जैसेः – प्राथमिक स्तर का, उच्चतर माध्यमिक से भिन्न होगा , उच्चतर माध्यमिक का विश्वविध्यालय से भिन्न होगा |
2)    समय की उपलब्धता
3)    प्रत्येक विषय का आपस में सह-सम्बन्ध तथा उनका कठिनाई स्तर
4)    विभिन्नता के सिध्दांत
5)    रिक्त कालांश/चक्र के लिए अध्यापक
6)    अधिकतम शिक्षकगढ़ का उपयोग
7)    गतिमय का सिध्दांत
8)    समन्वय प्रयास का सिध्दांत
9)    खेल-कूद एवं रचनात्मकता का सिध्दांत
समय तालिका की योजना/निर्माण उच्च प्राथमिक स्तर पर   
एक विद्यालय की समय तालिका छत्रों के अध्ययन प्रक्रिया को प्रभावित करती है | इसलिए समय तालिका का निर्माण करते समय बच्चों को केंद्र में रखकर करना चाहिए |
            उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चे अभि विद्यालय आना सिखते है | अतः इनकी समय तालिका का निर्माण करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए |
1)    समय तालिका ऐसी होनी चाहिए जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके | ऐसा नहीं है की बच्चे किताबों के बोझ तले दब रहें |
2)    समय तालिका का निर्माण करते समय बच्चों का मनोवैज्ञानिक पक्ष भी ध्यान देना चाहिए |
3)    समय तालिका में खेल-कूद का एक निर्धारित समय निश्चित होना चाहिए |
4)    समय तालिका का निर्माण करते समय इस बात का अवश्य ध्यान देना चाहिए की समय तालिका बहुत अधिक लम्बी नहीं होनी चाहिए |

आलोचनात्मक परिक्षण
1)    विद्यालय : - राम भरोसे मैकूलाल इंटरमीडिएट कॉलेज तेलीबाग लखनऊ ऊ.प्र. – 226025
2)    विद्यालय का प्रकार : - यह विद्यालय सह शिक्षण प्रकार का है | प्राथमिक स्तर तक सभी छात्र,छात्राएं एक साथ पढ़ते है | उच्च प्राथमिक स्तर पर छात्र एवं छात्राओं की कक्षा अलग-2  है | उच्चतर माध्यमिक स्तर पर छात्र एवं छात्राएं एक साथ पढ़ते है |
3)    राम भरोसे मैकूलाल विद्यालय के समय तालिका के कुछ संशोधन की आवश्यकता है |
4)    यहाँ की समय तालिका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से निर्माण नहीं किया गया है | जैसे कक्षा VII (अ ) की समय तालिका में प्रथम चक्र में गणित  विषय को रखा गया है | तथा द्वुतीय चक्र में सभी दिन हिंदी रखा गया है | सामाजिक विज्ञान का चक्र तीसरा निर्धारित किया गया है
निष्कर्ष
समय तालिका एक विद्यालय में शिक्षा अधिगम प्रक्रिया में उस प्रकाश की भांति होता है जो अँधेरे में अपने मंजिल पर पहुचने में मदद करता है | समय तालिका शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाता है |
            राम भरोसे मैकूलाल विद्यालय में समय तालिका का प्रभाव वहा के छात्रों के शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर पड़ रहा है | वह की समय तालिका उतनी अच्छी नहीं जिससे शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति किया जा सके |
सुझाव
राम भरोस मैकूलाल विद्यालय की समय तालिका में निम्न संशोधन हो सकते है –
1)    कक्षा छः से आठ तक की प्रथम चक्र को गणित विषय के स्थान पर विज्ञान विषय होना चाहिए |
2)    विज्ञान विषयों को सप्ताह के छः दिनों पढाया जाये |
3)    गणित विषय मध्याहन के बाद रखा जाये |
4)    विज्ञान और गणित विषयों की समय अवधि 30 मिनट से बढाकर 40 मिनट कर दिया जाये |
5)    शारीरिक शिक्षा जैसे खेल-कूद का एक समय निर्धारित किया जाये |
6)    सप्ताह में एक दिन सामान्य ज्ञान की प्रतियोगिता के एक बाल सभा होनी चाहिए |




Comments

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